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Desh Bhakti Poem (Kavita) in Hindi
Desh Bhakti Poem (Kavita) in Hindi
आन,बान की शान की है यह,गौरव
की अभिमान की है,
वीर सपूतों की जन्मभूमि यह,मिट्टी
हिंदुस्तान की है।
राम कृष्ण की कर्मभूमि है,वीर
कर्ण के दान की है,
पांडवों के महाभारत की यह,द्रौपदी
के अपमान की है।
रानी लक्ष्मीबाई की है यह,शिवाजी
के प्रण प्राण की है,
राणा प्रताप की प्रतिज्ञा की यह,सिंह
भगत के बलिदान की है।
ऋषियों के गुण ज्ञान की है यह,तानसेन
की तान की है,
तुलसी,मीरा,सूर,कबीर,बिहारी
और रसखान की है।
यह मिट्टी है हिन्दू,मुस्लिम,सिख,बौद्ध,क्रिस्तान
की है,
यह मिट्टी तो ईसा,नानक,बुद्ध,खुदा,भगवान
की है।
भाषा,बोली,संस्कृति की,संस्कारों
की खान की है,
यह भूमि है धर्म,कर्म की,प्रेम,ज्ञान,विज्ञान
की है।
ये मिट्टी है,भगत,जवाहर,आज़ाद,सुभाष
महान की है,
विवेकानंद के सपनों की यह,बापू
के अवदान की है।
यह भूमि है विरासतों की,सभ्यता की पहचान
की है,
वन्दे मातरम की धरती यह,जन-गण-मन के गान
की है।
सबसे बड़े गणतंत्र की है यह,प्यारे
तिरंगे की शान की है,
यह मिट्टी हर इन्सान की है,यह 'जीत'
के
सम्मान की है।
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